आजाद भारत

कहने को तो हम स्वतंत्र देश में रहते हैं, हम दर्शाते भी ऐसा ही हैं कि हम जैसे स्वतंत्र विचारों वाले, खुली सोच वाले, खुले दिल वाले इंसान इस‍ दुनिया में और कोई नहीं है। लेकिन हकीकत पर जब हम गौर करें तो नजारा कुछ और ही होता है, कुछ और ही दिखाई पड़ता है।
जी हां! यह बात कटु जरूर है, लेकिन सत्य है। जहां आज हम 69वां स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारियां कर रहे हैं, वहीं इसमें बहुत कुछ परतंत्र भी है। इतने सालों की आजादी के बाद भी हम वास्तव में आजाद नहीं हुए हैं। कहने को, सुनने को हम आजाद दिख सकते हैं, लोगों के सामने अपनी प्रशंसा दिखाने और प्रशंसा पाने के लिए ऐसा भ्रम भी रच सकते हैं। लेकिन यह पूरी तरह सत्य नहीं हैं। 

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